सिर्फ इशारों में होती महोब्बत अगर,
इन अलफाजों को खुबसूरती कौन देता?
बस पत्थर बन के रह जाता ‘ताज महल’
अगर इश्क इसे अपनी पहचान ना देता.
सिर्फ इशारों में होती महोब्बत अगर,
इन अलफाजों को खुबसूरती कौन देता?
बस पत्थर बन के रह जाता ‘ताज महल’
अगर इश्क इसे अपनी पहचान ना देता.
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